जहरीले कचरे पर कोहराम, हंगामा और बवाल, पुलिस ने किया लाठीचार्ज; आत्मदाह की कोशिश

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भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी यूनियन कार्बाइड फ़ैक्ट्री के कचरे को पीथमपुर में जलाया जाना है। इसका विरोध स्थानीय लोग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोगों ने आत्मदाह करने की कोशिश की। इससे यहां के हालात और बिगड़ गए हैं। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज भी किया है।

भोपाल से आए यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर बवाल

इंदौर के पीथमपुर में कचरा जलाए जाने का जमकर विरोध

विपक्ष के साथ ही बीजेपी विधायक ने भी खोल दिया मोर्चा

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. इंदौर में और पीथमपुर में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. विपक्ष तो इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ है ही, सत्ता पक्ष के नेता भी पीथमपुर में जहरीला कचरा जलाने का विरोध कर रहे हैं.  भोपाल से आए यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाकर नष्ट करने के मामले में बवाल बढ़ता जा रहा है. सरकार के इस निर्णय के विरोध में बीजेपी के विधायक ही आ गए हैं. वहीं, झोपड़ी वाले विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कचरा जलाने के विरोध में धरना शुरू कर दिया है. इससे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हालांकि नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस मामले में बैठक बुलाकर समझाने की कोशिश की है.

इधर, यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरा पीथमपुर पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है. स्थानीय लोगों ने कई संगठनों ने कचरा जलाने के विरोध में आज पूरा पीथमपुर बंद का आह्वाहन किया. लोग सड़कों पर उतरे और चक्काजाम किया. प्रदर्शनिकारियों को हटाने को लेकर पुलिस बल ने लोगों पर लाठियां भांजनी शुरू कर दी है. वहां से लोगों को भगाना शुरु कर दिया तो अफरातफरी मच गई. पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा.

इस दौरान विरोध कर रहे दो युवकों ने खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाने और आत्मदाह करने की कोशिश की, जिससे भगदड़ मच गई और दोनों युवक गंभीर रूप से झुलस गए हैं. अब उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पहुंचा पीथमपुर

भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा इंदौर के नजदीक पीथमपुर की रामकी कंपनी में नष्ट करने के लिए लाया गया है. कोर्ट के आदेश पर यह कदम उठाया गया, लेकिन इस फैसले ने प्रदेश में सियासी और सामाजिक घमासान छेड़ दिया है. विपक्ष, स्थानीय जनप्रतिनिधि और विशेषज्ञ इस कचरे के निपटान को लेकर गहरी चिंता जता रहे हैं. निपटान का मुद्दा केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक भी बन गया है.

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