3 शाही व 3 स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां, तैयारियां लगभग पूरीं

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कल्पवास के लिए लोग संगम तट पहुंचे लोग

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ मेला 2025 का आगाज होने जा रहा है। इसको लेकर तैयारियां लगभग पूरी कराई जा चुकी हैं। बची तैयारियों को पूरा करने में प्रशासन की टीम दिन-रात लगी हुई है। महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में साधु-संतों और अखाड़ों का संगम तट पर आना लगातार जारी है। इस महाआयोजन को लेकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार हर तैयारियों को पूरा करा रही है। संगम तट पर विश्व का सबसे बड़ा अस्थायी शहर बस रहा है। महाकुंभ के पहले शाही स्नान की तिथि को जानने को लेकर श्रद्धालुओं में जिज्ञासा है।

योगी सरकार महाकुंभ 2025 के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए हर तरह की व्यवस्था कर रही है। महाकुंभ 2025 को लेकर प्रशासनिक और राज्य स्तर की तैयारी की लगातार समीक्षा चल रही है। किसी भी श्रद्धालु को महाकुंभ के दौरान दिक्कत न हो, इसके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार की तैयारी की सबसे बड़ी परीक्षा तीन शाही स्नानों के दौरान होगी।

तीन शाही स्नान तिथि है महत्वपूर्ण

  • 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन पहला प्रमुख शाही स्नान
  • 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन दूसरा प्रमुख शाही स्नान
  • बसंत पंचमी के मौके पर 3 फरवरी के शाही स्नान में जुटेगी भीड़

मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के दिन होने वाले शाही स्नान के दौरान सबसे अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इस बार के कुंभ में तीन शाही स्नान होंगे और इसके अतिरिक्त तीन ऐसी तिथियां होंगी जिन पर स्नान करना भी काफी शुभ माना जाएगा।

स्नान और शाही स्नान की तिथियां

  • 13 जनवरी (सोमवार)- स्नान, पौष पूर्णिमा
  • 14 जनवरी (मंगलवार)- शाही स्नान, मकर सक्रांति
  • 29 जनवरी (बुधवार)- शाही स्नान, मौनी अमावस्या
  • 3 फरवरी (सोमवार)- शाही स्नान, बसंत पंचमी
  • 12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा
  • 26 फरवरी (बुधवार)-  स्नान, महाशिवरात्रि

महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में साधु-संतों का जुटान शुरू हो गया है। माघ मेला में कल्पवास के लिए लोग संगम तट पर पहुंचने लगे हैं। सनातन के सबसे बड़े आयोजन को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार तैयारियों को पूरा कराने में जुटी है।  

महाकुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है। इसे कुंभ मेला भी कहा जाता है, महाकुंभ का आयोजन 12 वर्षों में किया जाता है। जहां पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। यह उत्सव भारत की चार पवित्र नदियों और चार तीर्थ स्थानों पर ही आयोजित होता है। महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज के संगम, हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, और नासिक में गोदावरी नदी पर किया जाता है। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है।

क्या है शाही स्नान?

महाकुंभ मेले में शाही स्नान का खास महत्व होता है। हालांकि, महाकुंभ के दौरान हर दिन किए जाने वाले स्नान को कल्याणकारी माना गया है। इसे सामान्य स्नान के तौर पर परिभाषित किया गया है। वहीं, खास दिनों पर होने वाले स्नान को अधिक पुण्यकारी माना गया है। इन्हें शाही स्नान कहते हैं। इस दिन सभी प्रमुख अखाड़ों के संत जुलूस के साथ निकलते हैं और संगम में डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ में मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी को प्रमुख शाही स्नान माना गया है। इन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की स्थिति को देखते हुए प्रशासनिक तैयारियों को पूरा कराया जा रहा है।

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